स्कूली छात्राओं के लिए मासिक धर्म स्वच्छता पर केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय नीति तैयार की है. इसे मंजूरी भी दे दी है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इस नीति का उद्देश्य सुरक्षित मासिक धर्म स्वच्छता प्रथाओं को बढ़ावा देना है.
स्कूली छात्राओं के लिए मासिक धर्म स्वच्छता पर केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय नीति तैयार की है. इसे मंजूरी भी दे दी है. ये जानकारी बुधवार को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दी. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने हलफनामा दाखिल करते हुए कोर्ट को बताया कि इस नीति का मकसद सरकार की स्कूल प्रणाली में मासिक धर्म स्वच्छता को मुख्यधारा में लाना है. ताकि स्कूली लड़कियों के बीच ज्ञान, दृष्टिकोण और व्यवहार में बदलाव लाया जा सके।
नीति का उद्देश्य और मुख्य बिंदु
इस नीति का मुख्य उद्देश्य स्कूल जाने वाली लड़कियों में मासिक धर्म के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। क्योंकि मासिक धर्म अक्सर उनकी गतिविधियों और शिक्षा में भागीदारी को प्रभावित करता है। इस योजना के तहत सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में लड़कियों को मासिक धर्म से संबंधित स्वच्छता सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। जिससे उन्हें सुरक्षित और स्वच्छ मासिक धर्म साधनों तक पहुंच मिलेगी। इसके साथ ही यह नीति मासिक धर्म अपशिष्ट के पर्यावरण-friendly तरीके से निपटान को भी बढ़ावा देगी।
कांग्रेस नेता की मुफ्त सैनिटरी पैड वितरण की मांग
यह नीति उस जनहित याचिका (PIL) के संदर्भ में है। जिसे कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने दाखिल किया था। याचिका में कक्षा 6 से 12 तक की छात्राओं के लिए मुफ्त सैनिटरी पैड वितरण की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई 12 अक्टूबर को होगी।
केंद्र सरकार की जानकारी: शौचालय और स्वच्छता किट वितरण
केंद्र सरकार ने अदालत को बताया कि देश के 97.5% स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय उपलब्ध हैं, और दिल्ली, गोवा, और पुडुचेरी जैसे राज्य 100% अनुपालन में हैं। इसके अलावा, सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर मासिक धर्म स्वच्छता किट का वितरण भी शुरू किया है, ताकि छात्राओं के बीच मासिक धर्म स्वच्छता के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया जा सके।
मासिक धर्म स्वच्छता नीति से क्या होगा फायदा?
कार्यक्रम का उद्देश्य मासिक धर्म के बारे में कम जागरूकता को दूर करना है, जो अक्सर स्कूली लड़कियों की गतिशीलता और दैनिक गतिविधियों में भागीदारी को बाधित करता है। यह सुनिश्चित करने के उपायों की रूपरेखा तैयार करता है कि सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में छात्राओं को मासिक धर्म से जुड़ी स्वच्छता सुविधाओं तक पहुंच हो। केंद्र का उद्देश्य सुरक्षित मासिक धर्म प्रथाओं और मासिक धर्म अपशिष्ट के पर्यावरण के अनुकूल उपयोग को बढ़ावा देना है।