दिल्ली में एक बार फिर से पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली की मांग को लेकर सरकारी कर्मचारियों ने आवाज बुलंद की है। आगामी तारीखों, 26 सितंबर, 2 अक्टूबर और 17 नवंबर को पुरानी पेंशन योजना की मांग के समर्थन में दिल्ली के रामलीला मैदान में हजारों सरकारी कर्मचारी जुटेंगे। इन प्रदर्शनों में सरकारी कर्मचारियों की बड़ी संख्या में शामिल होने की उम्मीद है, जो OPS की बहाली के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पर दबाव डालने की कोशिश करेंगे।
OPS की मांग क्यों है जरूरी?
सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) एक सुरक्षा कवच की तरह है, जो रिटायरमेंट के बाद स्थायी आय का स्रोत बनती है। हालांकि, वर्ष 2004 के बाद केंद्र सरकार ने नई पेंशन योजना (NPS) लागू कर दी, जिसके तहत पेंशन का भुगतान पूरी तरह से बाजार के प्रदर्शन पर निर्भर करता है। इस बदलाव के कारण सरकारी कर्मचारी अब पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग कर रहे हैं, क्योंकि नई पेंशन योजना उन्हें पहले जितनी स्थिरता प्रदान नहीं करती।
प्रदर्शनों की प्रमुख तारीखें:
- 26 सितंबर 2024 – यह दिन पुरानी पेंशन योजना के समर्थन में पहला बड़ा विरोध प्रदर्शन होगा। सरकारी कर्मचारी दिल्ली के प्रमुख स्थानों पर रैली करेंगे और केंद्र सरकार से पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग करेंगे।
- 2 अक्टूबर 2024 – महात्मा गांधी की जयंती के दिन सरकारी कर्मचारी फिर से दिल्ली में एकजुट होंगे और अहिंसा के प्रतीकात्मक दिन पर अपनी मांगों को शांतिपूर्ण तरीके से प्रस्तुत करेंगे।
- 17 नवंबर 2024 – इस दिन दिल्ली में एक और विशाल रैली का आयोजन होगा, जिसमें पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग को लेकर देशभर से कर्मचारी जुटेंगे।
कहां होगा प्रदर्शन?
इन विरोध प्रदर्शनों का केंद्र रामलीला मैदान, दिल्ली होगा। रामलीला मैदान लंबे समय से राजनीतिक और सामाजिक आंदोलनों का गढ़ रहा है। यहां हजारों सरकारी कर्मचारी एकजुट होकर पुरानी पेंशन की मांग के समर्थन में आवाज उठाएंगे।
किस राज्यों में लागू है OPS?
हालांकि केंद्र सरकार ने अब तक पुरानी पेंशन योजना को बहाल नहीं किया है, लेकिन कई राज्य सरकारों ने इसे फिर से लागू कर दिया है। राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब, और हिमाचल प्रदेश उन राज्यों में शामिल हैं, जहां OPS को दोबारा बहाल कर दिया गया है। इन राज्यों के कर्मचारियों को नई पेंशन योजना के बजाए पुरानी पेंशन योजना के तहत पेंशन का लाभ मिल रहा है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिरता बनी रहती है।
क्यों है विरोध जरूरी?
सरकारी कर्मचारियों का मानना है कि पुरानी पेंशन योजना एक अधिकार है, जिसे उन्हें नहीं छीना जाना चाहिए। नई पेंशन योजना (NPS) के तहत कर्मचारियों की पेंशन पूरी तरह से शेयर बाजार और अन्य निवेश साधनों पर निर्भर होती है, जिससे उनके भविष्य की आर्थिक सुरक्षा पर खतरा मंडराता है। इसके विपरीत, पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारियों को सुनिश्चित पेंशन मिलती थी, जो उनके रिटायरमेंट के बाद की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम होती थी।
प्रधानमंत्री मोदी पर बढ़ रहा दबाव
सरकारी कर्मचारियों के इस आंदोलन के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार पर पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने का दबाव लगातार बढ़ रहा है। हालांकि, केंद्र सरकार की ओर से अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, लेकिन कर्मचारियों की मांग और बढ़ते विरोध के कारण इसे नजरअंदाज करना मुश्किल होता जा रहा है।
निष्कर्ष:
पुरानी पेंशन योजना की बहाली के लिए दिल्ली में होने वाले ये प्रदर्शन सरकारी कर्मचारियों के बीच बढ़ती नाराजगी को दर्शाते हैं। 26 सितंबर, 2 अक्टूबर, और 17 नवंबर की तारीखें विरोध प्रदर्शनों के लिए महत्वपूर्ण होंगी, जब सरकारी कर्मचारी एकजुट होकर अपने भविष्य के लिए पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग करेंगे। अब यह देखना बाकी है कि केंद्र सरकार इस मांग को कैसे संभालती है और क्या प्रधानमंत्री मोदी इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाते हैं।