शादीशुदा जान ले 2025 से सभी पति-पत्नियों के लिए 10 नए नियम कानून

शादीशुदा जिंदगी में कई बार कानून के बदलाव रिश्तों पर सीधा असर डालते हैं। हाल ही में अदालतों और सरकारी निर्णयों के चलते शादीशुदा जोड़ों के लिए 2025 में 10 नए नियम लागू किए गए हैं, जो पति-पत्नी के अधिकार, संपत्ति, और परिवारिक दायित्वों पर प्रभाव डालेंगे। आइए, इन नए नियमों के बारे में विस्तार से समझते हैं और जानते हैं कि ये कैसे आपके रिश्तों को प्रभावित कर सकते हैं।

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1. पुनर्विवाह के बाद विधवा का पहले पति की संपत्ति पर हक समाप्त

छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि यदि विधवा का पुनर्विवाह होता है, तो उसके पहले पति की संपत्ति पर उसका अधिकार समाप्त हो जाता है। इससे विधवाओं के संपत्ति अधिकारों पर बड़ा असर पड़ सकता है।

2. माता-पिता का भी बेटे की आय पर अधिकार

हाल ही में एक अदालत ने यह फैसला दिया है कि बेटे की आय पर केवल पत्नी और बच्चों का ही हक नहीं है, बल्कि माता-पिता का भी अधिकार होता है। इससे माता-पिता को अधिक आर्थिक सुरक्षा मिलेगी, और यह उनके भविष्य के लिए भी एक महत्वपूर्ण निर्णय है।

3. मानसिक क्रूरता के कारण तलाक का अधिकार

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी माना है कि अगर एक साथी दूसरे की प्रतिष्ठा या करियर को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता है, तो इसे मानसिक क्रूरता माना जाएगा। ऐसे मामलों में प्रभावित पक्ष तलाक की मांग कर सकता है।

4. घरेलू हिंसा कानून के तहत पत्नी को रहने का अधिकार

सुप्रीम कोर्ट ने घरेलू हिंसा मामले में यह स्पष्ट किया है कि पत्नी को पति के किसी भी रिश्तेदार के घर में रहने का अधिकार है। यह निर्णय महिलाओं के आवास अधिकारों को मजबूती देने में सहायक साबित होगा।

5. बालिग पत्नी और नाबालिग पति का मामला

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि नाबालिग पति को बालिग पत्नी के साथ रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती। यह फैसला विवाह की आयु और मानसिक परिपक्वता को ध्यान में रखकर लिया गया है।

6. परस्पर सहमति से तलाक का अधिकार

उच्च न्यायालय ने यह भी निर्णय लिया है कि यदि पति-पत्नी दोनों परस्पर सहमति से तलाक लेना चाहते हैं, तो वे ऐसा कर सकते हैं। यह नियम विवादों को कम करने और जोड़ों को सरलता से तलाक का अधिकार देने में मददगार साबित होगा।

7. बहू का ससुराल में रहने का हक

सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम निर्णय में बहू को ससुराल में रहने का हक दिया है। यह निर्णय घरेलू हिंसा कानून के तहत लिया गया है और इससे बहुओं को ससुराल में रहने का कानूनी अधिकार प्राप्त होगा।

8. नाबालिग बेटे का भरण-पोषण

दिल्ली की अदालत ने फैसला दिया है कि पिता का यह दायित्व होता है कि वह अपने गोद लिए बच्चे को भरण-पोषण की राशि दे। इस फैसले से गोद लिए बच्चों को सुरक्षा और अधिकार प्राप्त होते हैं।

9. संपत्ति विवाद में महिला का अधिकार

अदालतों ने निर्णय दिया है कि संपत्ति विवाद में महिला का भी बराबर का अधिकार होना चाहिए, चाहे वह संपत्ति मायके या ससुराल से जुड़ी हो। इससे महिलाओं के संपत्ति अधिकारों को मजबूती मिलती है।

10. पुनर्विवाह और तलाक के नए नियम

सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विवाह और तलाक के लिए कुछ नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। अब तलाक के बाद पुनर्विवाह के मामले में महिला के अधिकारों का विशेष ध्यान रखा जाएगा।

निष्कर्ष

2024 के इन नए नियमों और कानूनों से शादीशुदा जोड़ों के रिश्तों में पारदर्शिता, सुरक्षा और संतुलन बढ़ेगा।

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