क्रेडिट कार्ड से जुड़ी बड़ी खबर: 1 April 2025: बैंकों को मानने होंगे 1 अप्रैल से नए नियम

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में क्रेडिट कार्ड और असुरक्षित पर्सनल लोन से जुड़े जोखिमों को नियंत्रित करने के लिए नए मानक जारी किए हैं। इन नए नियमों के तहत, असुरक्षित लोन और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) को बैंक लोन पर अधिक जोखिम भार लागू किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य क्रेडिट कार्ड और अन्य असुरक्षित लोन सेगमेंट में बढ़ते जोखिमों को कम करना है। आरबीआई के इस कदम ने बैंकिंग क्षेत्र को सतर्क कर दिया है, खासकर त्योहारी सीजन में क्रेडिट कार्ड डिफॉल्ट की दर में वृद्धि के बाद।

क्रेडिट कार्ड डिफॉल्ट में वृद्धि: त्योहारी सीजन में बढ़ी चिंता

आरबीआई के हालिया आंकड़ों के अनुसार, सितंबर 2023 में नए क्रेडिट कार्ड जारी करने की गति में भारी गिरावट देखी गई है। अगस्त में 9.2 लाख नए कार्ड जारी किए गए थे, जो सितंबर में घटकर 6.2 लाख रह गए। यह पिछले वर्ष की तुलना में 64% की भारी गिरावट है। इसके साथ ही, कुल क्रेडिट कार्ड संख्या 106 मिलियन पर पहुंच गई है।

विश्लेषकों का मानना है कि क्रेडिट कार्ड के असुरक्षित सेगमेंट में बढ़ते जोखिमों के कारण बैंक अब नए ग्राहकों को जोड़ने में अधिक सतर्क हो गए हैं। आईडीबीआई कैपिटल के विश्लेषक बंटी चावला ने कहा कि एचडीएफसी बैंक और एसबीआई कार्ड्स ने नए कार्ड जारी करने में नेतृत्व किया है, लेकिन निकट भविष्य में क्रेडिट कार्ड के वितरण की रफ्तार धीमी रहने की संभावना है।

आरबीआई ने क्यों बदले नियम?

आरबीआई ने हाल ही में जोखिम प्रबंधन के लिए बनाए गए मानकों में बदलाव किया है। इन नए नियमों के तहत, असुरक्षित पर्सनल लोन और एनबीएफसी को बैंक लोन पर अधिक जोखिम भार लागू किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य क्रेडिट कार्ड और अन्य असुरक्षित लोन सेगमेंट में बढ़ते जोखिमों को नियंत्रित करना है।

  • असुरक्षित लोन: इन लोनों में क्रेडिट कार्ड, पर्सनल लोन, और अन्य लोन शामिल हैं, जिनके लिए कोई संपत्ति गिरवी नहीं रखी जाती।
  • जोखिम भार: बैंकों को अब इन लोनों पर अधिक पूंजी आरक्षित रखनी होगी, ताकि जोखिम को कम किया जा सके।

क्रेडिट कार्ड डिफॉल्ट: किन लोगों का कार्ड हो रहा डिफॉल्ट?

मैक्वेरी कैपिटल की एक रिपोर्ट के अनुसार, बैंकों के क्रेडिट कार्ड पोर्टफोलियो में डिफॉल्ट दरें अब 6% के करीब चल रही हैं, जो बैंकिंग क्षेत्र के लिए चिंता का विषय है। रिपोर्ट में वित्तीय सेवा अनुसंधान के प्रमुख सुरेश गणपति ने बताया कि मध्यम आय वर्ग में क्रेडिट कार्ड डिफॉल्ट की दर अधिक है।

  • मध्यम आय वर्ग: इस वर्ग के लोग अक्सर अपनी क्रेडिट सीमा का पूरा उपयोग करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप डिफॉल्ट बढ़ रहे हैं।
  • सीमित विकल्प: आरबीआई द्वारा व्यक्तिगत लोन के दायरे को नियंत्रित किए जाने के बाद, मध्यम वर्ग के पास अपने बकाया का भुगतान करने के लिए सीमित विकल्प बचे हैं।

त्योहारी सीजन में बढ़ा उपभोक्ता खर्च

आरबीआई के आंकड़े यह भी दर्शाते हैं कि लेनदेन की वृद्धि दर में गिरावट देखी गई है, जो अगस्त के 1.6% से घटकर सितंबर में 0.5% पर आ गई। हालांकि, त्योहारी सीजन में उपभोक्ता खर्च में वृद्धि दर्ज की गई, जिसके परिणामस्वरूप कुल क्रेडिट कार्ड खर्च अगस्त के 1.69 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर सितंबर में 1.77 लाख करोड़ रुपये हो गया। साल-दर-साल आधार पर यह 23.8% की वृद्धि है।

क्यों बढ़ रहा है डिफॉल्ट?

विशेषज्ञों का कहना है कि युवा मिलेनियल्स अक्सर अपनी पूरी क्रेडिट सीमा का उपयोग करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप डिफॉल्ट बढ़ रहे हैं और कई खाते गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) में तब्दील हो रहे हैं।

  • युवा मिलेनियल्स: यह वर्ग अपनी क्रेडिट सीमा का पूरा उपयोग करता है, जिससे डिफॉल्ट की संभावना बढ़ जाती है।
  • आरबीआई का निर्देश: आरबीआई ने हाल ही में बैंकों और एनबीएफसी को असुरक्षित उपभोक्ता लोन देते समय सतर्कता बरतने का निर्देश दिया है।

निष्कर्ष

आरबीआई के नए नियमों और क्रेडिट कार्ड डिफॉल्ट में वृद्धि ने बैंकिंग क्षेत्र को सतर्क कर दिया है। त्योहारी सीजन में उपभोक्ता खर्च में वृद्धि के बावजूद, क्रेडिट कार्ड डिफॉल्ट की दर चिंता का विषय बनी हुई है। बैंकों को अब नए ग्राहकों को जोड़ने में अधिक सतर्कता बरतनी होगी और जोखिम प्रबंधन को मजबूत करना होगा।

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